Vasanth q.a
कवि ने अपने आने को ‘उल्लास’ और जाने को ‘आँसू बनकर बह जाना’ क्यों कहा है?
कवि ने अपने आने को उल्लास इसलिए कहता है क्योंकि जहाँ भी वह जाता है मस्ती का आलम लेकर जाता है। वहाँ लोगों के मन प्रसन्न हो जाते हैं। उसके व्यक्तित्व और व्यवहार से लोगों में खुशी भर जाती है। जब वह उस स्थान को छोड़ कर आगे जाता है तब उसे तथा वहाँ के लोगों को दुःख होता है। विदाई के क्षणों में उसकी आखों से आँसू बह निकलते हैं।
भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटानेवाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है?
यहाँ भिखमंगों की दुनिया से कवि का आशय है कि यह दुनिया केवल लेना जानती है देना नहीं। कवि ने भी इस दुनिया को प्यार दिया पर इसके बदले में उसे वह प्यार नहीं मिला जिसकी वह आशा करता है। कवि निराश है, वह समझता है कि प्यार और खुशियाँ लोगों के जीवन में भरने में असफल रहा। दुनिया अभी भी सांसारिक विषयों में उलझी हुई है।
कविता में ऐसी कौन सी बात है जो आपको सबसे अच्छी लगी?
मुझे इस कविता का वह हिस्सा पसंद आया जहाँ कवि कहता है “जग से उसका कुछ लिए चले, जग को अपना कुछ दिए चले”। हर व्यक्ति अपने जीवन के दौरान इस दुनिया से कुछ न कुछ लेता और इस दुनिया को कुछ न कुछ दे जाता है। कवि एक तरह से एक सार्वभौम सत्य बतला रहा है।
जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है?
यह सही है की जीवन में मस्ती होनी चाहिए। लेकिन कहते हैं कि यदि दवाई भी जरूरत से ज्यादा ले लें तो उससे साइड इफेक्ट होते हैं। इसलिए मस्ती भी जरूरत से अधिक नहीं होनी चाहिए। जीवन में कभी भी मस्ती के चक्कर में अपनी जिम्मेदारियों को नहीं भूलना चाहिए। यह भी याद रखना चाहिए कि हमारा परिवार और समाज के लिए भी दायित्व बनता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि मस्ती के चक्कर में किसी दूसरे को तकलीफ तो नहीं हो रही।
लेखक के मन में हिस्सेदार सहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गयी?
उत्तर: बस के हिस्सेदार को बस की बुरी हालत के बारे में अच्छी तरह से मालूम था। उसे ये पता था कि बस कहीं भी धोखा दे सकती थी। खासकर यदि ब्रेक ने धोखा दे दिया तो जान जाने का भी डर था। फिर भी वह हिस्सेदार अपनी बस में जाने की हिम्मत कर रहा था। इसलिए लेखक के मन में हिस्सेदार के लिए श्रद्धा जग गयी।
लोगों ने ऐसी सलाह क्यों दी कि समझदार आदमी उस शाम वाली बस से सफर नहीं करते?
उत्तर: शाम हो या सुबह कोई भी आदमी खस्ताहाल बस मे तब तक सफर नहीं करेगा जब तक कोई बहुत आपात की स्थिति न हो, या उस रास्ते पर जाने के लिए कोई अन्य साधन नहीं हो। इसलिए लोगों ने उस शाम वाली बस में जाने से मना कर दिया था।
लोगों को ऐसा क्यों लगा जैसे सारी बस इंजन हो और वे लोग उस इंजन में बैठे हुए हों?
उत्तर: बस के सारे पेंच ढ़ीले हो गए थे। इसलिये इंजन चलने से पूरी ही बस इंजन की तरह शोर मचा रही थी और काँप भी रही थी। शोर शराबे और बुरी तरह हिलने डुलने से ऐसा लग रहा था कि वे लोग बस में नहीं बल्कि इंजन में ही बैठे हों।
लेखक को बस के अपने आप चलने की योग्यता के बारे में जानकर आश्चर्य क्यों हुआ?
अक्सर सुदूर गाँवों के इलाके में पुरानी और जर्जर बसें ही चला करती हैं। उन्हें देखकर किसी बड़े शहर के निवासी को भरोसा ही नहीं होगा कि वे चल भी सकती हैं। इसलिए लेखक को भी ये जानकर अचम्भा हुआ कि बस अपने आप चल पड़ती है और उसे धक्का लगाने की जरूरत नहीं पड़ती।
लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?
उत्तर: प्राय: राजमार्गों की यात्रा करते समय लोग अगल बगल की हरियाली को निहारने में मग्न होते हैं। गाँवों की नैसर्गिक सुंदरता देखते ही बनती है। लेकिन बस की दुर्दशा ने लेखक या उसके दोस्तों पर तो भय का प्रभाव छोड़ दिया था। इसलिए लेखक को ऐसा लग रहा था कि कभी भी कोई भी पेड़ आकर उनसे टकरा सकता है। इसलिए पेड़ लेखक को दुश्मन की भांति दिख रहे थे।
प्र॰1 ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’- उक्त उदाहरण से कबीर क्या कहना चाहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ‘तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं’-इस उदाहरण के द्वारा कवि यह कहना चाहते हैं कि मनुष्य की सुंदरता उसके शरीर की अपेक्षा उसके गुणों से आँकना चाहिए क्योंकि शरीर तो बाहरी आवरण है जबकि सच्चाई उसका अंर्तमन है। इसलिए कवि कहते हैं कि तलवार का महत्त्व होता है म्यान का नहीं। अनावश्यक वस्तु के विषय में जानकारी प्राप्त करने का कोई औचित्य नहीं होता है।
प्र॰2 पाठ की तीसरी साखी-जिसकी एक पंक्ति है ‘मनुवाँ तो दहुँ दिसि फिरै, यह तो सुमिरन नाहिं’ के द्वारा कबीर क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर- तीसरी साखी में कबीर दास जी कहना चाहते हैं कि मनुष्य का मन चंचल होता है वह हाथ में माला और जबान पर हरिनाम तो जपता रहता है किन्तु किंतु यह ईश्वर की सच्ची भक्ति नहीं हो सकती, क्योंकि उसका मन तो ईश्वर पर केंद्रित न होकर चारों ओर भटकता रहता है।भगवान् का नाम लेना तब सार्थक होता है जब मनुष्य अपने चंचल मन पर काबू पा लेता है।
प्र॰3 कबीर घास की निंदा करने से क्यों मना करते हैं। पढ़े हुए दोहे के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- कवि ने निंदा करने से इसलिए मना किया है क्योंकि निंदा या बुराई करते समय व्यक्ति की अच्छाइयों की ओर ध्यान नहीं दिया जाता है। हर व्यक्ति में कुछ-न-कुछ अच्छाइयाँ अवश्य होती हैं, पर निंदा करने वाला उनको नहीं देख पाता है। जब एक घास का तिनका भी आँख में चला जाता है तो वह बहुत कष्ट देता है। इसलिय हमें किसी को कमजोर समझकर उसकी निंदा नहीं करनी चाहिए।
प्र॰4 कबीर के दोहों को साखी क्यों कहा जाता है? ज्ञात कीजिए।
उत्तर:‘साखी’ शब्द ‘साक्षी’ के तद्भव रूप से बना है, जिसका अर्थ है-आँखों से देखा हुआ गवाह या गवाही। अशिक्षित कबीर ने अपनी आँखों से इस संसार में जो कुछ घटित होते देखा, उसे ही अपने ढंग से व्यक्त किया। स्वयं कबीर ने इन्हें ‘साखी आँखी ज्ञान की’ कहा है। इसी कारण इन दोहों को साखी कहा जाता है।
’’यह कठिन समय नहीं है?’’ यह बताने के लिए कविता में कौन-कौन से तर्क प्रस्तुत किए गए हैं? स्पष्ट कीजिए।
यह कठिन समय नहीं है’, इस बात को बताने के लिए कविता में निम्न तर्क दिए गए हैं:
· अभी भी चिड़िया की चोंच में तिनका दबा है।
· अभी भी एक हाथ पेड़ से गिरती पत्ती को थामने के लिए मौजूद है।
· अभी भी रेलगाड़ी लोगों को उनकी मंज़िल तक लेकर जाती है।
· कोई किसी को सूरज डूबने से पहले घर आने को कह रहा है।
अभी भी बूढ़ी नानी की अंतरिक्ष वाली कहानी सबको सुनाई जाती है।
चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में क्यों है? वह तिनकों का क्या करती होगी? लिखिए।
उत्तर. चिड़िया तिनकों का घोंसला बनाती है, ताकि उसमें वो और उसका परिवार आराम से रह सके। चिड़िया चोंच में तिनका दबाकर उड़ने की तैयारी में इसलिए है, ताकि वो जल्दी से अपने परिवार के लिए घोंसला बना सके।
कविता में कई बार ‘अभी भी’ का प्रयोग करके बातें रखी गई हैं, अभी भी का प्रयोग करते हुए तीन वाक्य बनाइए और देखिए उनमें लगातार, निरंतर, बिना रुके चलनेवाले किसी कार्य का भाव निकल रहा है या नहीं?
उत्तर. निम्न वाक्यों में हमें बिना रुके, निरन्तर चलने वाले किसी कार्य का भाव नज़र आ रहा है –
· अभी भी बच्चे स्कूल जाते हैं।
· अभी भी माँ प्यार से बच्चों को खाना खिलाती है।
· अभी भी वो दौड़ने जाता है।
नहीं और अभी भी को एक साथ प्रयोग करके तीन वाक्य लिखिए और देखिए ‘नहीं’‘अभी भी’के पीछे कौन-कौन से भाव छिपे हो सकते हैं?
उत्तर. निम्न वाक्यों में ‘नहीं’ और ‘अभी भी’ का एक साथ प्रयोग हुआ है –
क्या तुम अभी भी आलू के परांठे नहीं खाते हो?
क्या रेखा अभी भी रमा से बात नहीं कर रही है?
क्या आप अभी भी नहीं बोलोगे?
q.1(check book)
कवि को लगता है कि पक्षी और बा दल एक स्था न से दूसरे स्था न तक भगवा न का संदेश पहुँचा ने का का म करते हैं। उन संदेशों को समझना मनुष्य के वश की बा त नहीं है, लेकि न पेड़ और पहा ड़ उन संदेशों को समझ लेते हैं। इसलि ए कवि ने पक्षी और बा दल को भगवा न के डा कि ए कहा है।
प्रश्न 2: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को कौn-कौन पढ़ पाते हैं? सोचकर लिखिए।
उत्तर: पक्षी और बादल द्वारा लाई गई चिट्ठियों को पेड़, पौधे, पहाड़ और पानी पढ़ पाते हैं। शायद जंगली जानवर भी उन्हें समझ पाते हैं। बादल जब अपने साथ बरसात लाते हैं तो पेड़ पौधे खुशी से झूम उठते हैं। पक्षी जब कोई संदेश लाते हैं तो पेड़ उनकी मेजबानी में फल और आसरा देते हैं। जंगली जानवर भी बारिश आने की खुशी में झूमने लगते हैं।
पक्षी और बादल की चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ क्या पढ़ पाते हैं?
उत्तर: इन चिट्ठियों में पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ खुशहाली और भाईचारे का संदेश पढ़ते हैं।
“एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है” – कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
“एक देश की धरती दूसरे देश को सुगंध भेजती है” – कथन का भा व स्पष्ट की जि ए। उत्तर: इस धरती पर सी मा एँ इंसा नों ने बना ई है, प्रकृति ने नहीं । प्रकृति को तो शा यद यह भी नहीं पता हो गा कि इस पृथ्वी पर इतने सा रे देश या रा ज्य हैं। इसलि ए प्रकृति वि भि न्न स्था नों में को ई भेदभा व नहीं करती है और हर स्था न के लि ए अपना प्या र बरा बर बाँ टती है